माता-पिता के अयोग्य
व्यवहार
मित्रों, यह बात हम सभी जानते हैं
कि कोई भी माता-पिता अपनी संतान के लिए नियत से बुरे नहीं होते पर इसके बावजूद कुछ
माता-पिता अपनी अज्ञानता, अनुभवहीनता, साधनों की विपन्नता व सबसे ज्यादा अपने कमजोर
मूल्यों के कारण अपनी ही संतान के सफलता की राह कमजोर कर देते हैं. ऐसे माता-पिता
अनजाने में अपनी संतानों के साथ अनुभवहीन, अव्यवहारिक व तर्क से परे जाकर ऐसे
व्यवहार प्रस्तुत करते हैं जो उनकी संतानों को न सिर्फ दिशाहीन करता है बल्कि
उन्हें उनके स्वाभाविक मंजिल से बहूत दूर भी कर देता है. अजीब बात है कि संतान के
संवर्धन व मार्गदर्शन में माता-पिता के व्यवहार व संचार का कौशल सबसे महत्वपूर्ण
होता है जबकि ज्यादातर माता-पिता इसी की उपयोगिता और महत्वा नहीं समझ पाते.
आइए, माता-पिता
के कुछ ऐसे ही अव्यवहारिक व्यवहारों को समझने का प्रयास करें जो हमें हमारी संतानो
के हित की रक्षा करने में हमारी मदद कर सके. माता-पिता के कुछ चुने हुए अव्यवहारिक
व अयोग्य व्यवहार निम्नलिखित हैं :
- जब माता-पिता अपने बच्चों को गालियां देते हैं, डराते-धमकाते हैं या हर बात पर हाथ उठाते हैं. मानसिक, शारीरिक प्रताड़ना के साथ यह व्यवहार और निकृष्ट स्तर पर पहुँच जाता है .
- जब वे अपनी संतानों का तत्परता से ध्यान नहीं रखते या उनके बुरे क्रियाकलापों की भी अनदेखी करते हैं .
- जब माता-पिता अपने बच्चों को दूसरों के सामने शर्मिन्दा करते हैं या दूसरों से अपने बच्चों की शिकायत करते हैं .
- जब वे यह नहीं जानते कि उनके अनुपस्थिति में उनकी संताने क्या करती हैं या क्या कर सकती हैं.
- जब वे अपनी संतानों के भाव अथवा विचारों के लिए नकारात्मक प्रतिक्रिया दिया करते हैं या दूसरों के सामने उनका अपमान करते हैं .
- जब वे हर बात पर अपने बच्चो की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करते हैं और यहाँ तक की वे दूसरे बच्चों को ही हमेशा श्रेष्ठ ठहराते हैं.
- जब वे दूसरों का गुस्सा अपने बच्चों पर उतारते हैं या इतने आवेशित हो जाते है कि उनके बच्चे उनसे आवश्यक बातें करने में भी असमर्थ होते हैं.
- जब वे बच्चों के सामने अपने जीवनसाथी या परिवार के अन्य सदस्यों को गालियां देते हैं, उनपर चिल्लाते हैं, उन पर हाथ उठाते हैं या उनसे हाथा –पाई करते हैं
- जब वे बिना सोचे-समझे कि वे सही हैं या गलत, अपने बच्चों को अपने हर आदेश मानने पर मजबूर करते हैं .
- जब वे अपनी संतानो की भावनाओं, विचारों अथवा शब्दों का भाव निकालने में असमर्थ होते हैं. ऐसे माता पिता अपने बच्चों की बातों का अक्सर गलत मतलब निकलते हैं .
- जब बच्चों के लिए उनके प्यार और सजा की कोई सीमा नहीं होती
. ऐसे माता –पिता या तो अपने बच्चों को ज्यादा लाड़-प्यार देकर बिगाड़ देते हैं या
फिर उनकी सजा अक्सर बिना गलती के या ‘चोरी के बदले फांसी’ जैसी होती है .
- जब आवेश में अपनी संतान के शब्दों के साथ उनकी सोंच व भावनाओं पर भी प्रतिबन्ध लगाने की कोशिश करते हैं .
- जब वे अपने बच्चों के बाल-सुलभ प्रश्नों का उत्तर देने में भी झल्ला जाते हैं .
- जब ये अपने बच्चों को प्रेरणा तो देते नहीं उसकी जगह पर उनका मनोबल तोड़ने का कार्य करते हैं
- जब वे पालन-पोषण के लिए अपने बच्चो को अपने से दूर किसी सगे सम्बन्धी के यहाँ छोड़ते हैं
- जब वे अपने बच्चों की क्षमता व सीमाओं के बारे में नहीं जानते . ऐसे माता-पिता पहले अपने बच्चों को उनकी क्षमता से बाहर के काम करने का दबाव देते हैं और साथ ही यह कहते हुए उनका मनोबल भी तोड़ते है कि तुम यह काम नहीं कर सकते .
- जब पिता यह नहीं जानते की उनकी पत्नी कब और कितनी बार माँ बनेगी तथा माता यह नहीं जानती की वह फिर गर्भवती हो चुकी है.
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