A POEM DEDICATED TO PARENTS (HINDI)...
जगत जन -जननी, जन-जन धारिणी
वात्सल्य मूरत, संतति पोषक
पालनहारी
लोक में प्रत्यक्ष
देवी तुल्य माता की
संसार में सर्वत्र जय हो !
वंश -कुल मूल, संतति शक्ति अपरंपार
जगत-जनक जन-नवजीवन के
पूर्वज सेतु सूत्रधार
लोक में प्रत्यक्ष
देव तुल्य पिता की
संसार में सर्वत्र जय हो !!
कुल- दीपक नव वंश प्रवर्तक
मातु-पितृ जन देश हित रक्षक
नवजीवन जन जगत चराचर
कल्याणकारी
जन-जन हितकारी
लोक में उपलब्ध
सुयोग्य संतान की
संसार में सर्वत्र जय हो !!!
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